सर्दी, खांसी और कफ की समस्या अब एक बार में दूर हो जाएगी करें यह आसान उपाय




सर्दी, खांसी और कफ आम समस्याएं हैं। यह किसी को भी कभी भी हो सकता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के समय हर 10 में से लगभग 2 लोग इससे पीड़ित होते हैं।

वहीं, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके साथ ये बीमारियां लगभग चिपक जाती हैं। बाबा रामदेव के अनुसार इन्हें जड़ से उखाड़ने का एकमात्र उपाय योग है।

विशेष रूप से कपालभाति और अनुलोम-विरोधी षडबा कफ के लिए जीवन रक्षक हैं, लेकिन मत्स्यासन भी एक प्रभावी आसन है।

रामदेव का मत है कि जिन लोगों के शरीर में वर्षों से कफ जमा हो गया है, जब सभी उपाय अपर्याप्त साबित हुए हैं, उन्हें यह आसन आधे घंटे तक करना चाहिए। बाकी के लिए 15 मिनट काफी हैं।

कपालभाति

कपालभाति करने के लिए क्रॉस लगाकर बैठ जाएं। अब हाथों को रीढ़ को सीधा रखते हुए घुटनों पर ओम स्थिति में रखें। अपनी आंखें बंद करें और गहरी सांस लें। पेट की मांसपेशियों को अंदर की ओर सिकोड़ते हुए सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे करें। सांस छोड़ते समय ज्यादा दबाव न डालें।

इस प्रक्रिया को 3 से 5 बार करें। फिर कुछ देर आराम करें। कपालभाति हमारे श्वासनली में जमा सारे कफ को सांस के साथ बाहर निकाल देती है।

सभी अवरुद्ध वायुमार्ग और गला खुल जाता है। सदियों पुराना कफ जड़ से समाप्त हो जाता है। लेकिन उच्च रक्तचाप, अल्सर आदि के रोगियों को इस आसन को करने से बचना चाहिए।

अनुलोम विलोम

फर्श पर लेटी हुई सीट पर पद्मासन या सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं। रीढ़ और गर्दन को सीधा रखें, आंखें बंद कर लें।

कलाइयों को घुटनों पर रखें। दाहिने हाथ से मध्यमा और तर्जनी को हथेली की ओर मोड़ें। अंगूठे को दाएं नथुने पर और अनामिका को बाएं नथुने पर रखें। अब दाहिने नथुने को अंगूठे से बंद करें और बाएं नथुने से तब तक गहरी खींचे जब तक कि फेफड़े सांस न ले लें। सांस लेने की गति को नियंत्रित करें।

अब अंगूठे को छोड़ दें और बाएं नथुने को अनामिका से बंद कर दें। दाहिने नथुने से धीरे-धीरे सांस छोड़ें।

अब यही क्रिया उल्टी में करें। देखा जाए तो अनुलोम-विरोदिधि शब्द की उत्पत्ति सर्दी-जुकाम और खांसी आदि के लिए हुई है। क्योंकि इस आसन को करने से फेफड़े मजबूत होते हैं। सर्दी, फ्लू या अस्थमा के खतरे को कम करता है। जिन लोगों को ये रोग होते हैं वे जड़ से खत्म हो जाते हैं। यह तनाव को कम करता है।

मत्स्यासन

चटाई पर बैठो। अब मेरुदंड को सीधा करते हुए क्रॉस पर प्रहार करें। धीरे-धीरे सिर के धड़ और रीढ़ को पीछे की ओर झुकाएं। इस क्रिया को धीरे-धीरे तब तक करें जब तक शरीर जमीन को न छू ले।

पूरे शरीर का भार कोहनियों पर होना चाहिए न कि सिर पर। जल्दबाजी नुकसान पहुंचा सकती है।

अब इस स्थिति में कम से कम एक मिनट तक रहें। फिर धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। यह आसन श्वसन प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करता है। सांस की तकलीफ दूर होती है और कफ साफ होता है।

नोट: किसी भी उपाय से पहले डॉक्टर से सलाह लें।

Note :

किसी भी हेल्थ टिप्स को अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य ले. क्योकि आपके शरीर के अनुसार क्या उचित है या कितना उचित है वो आपके डॉक्टर के अलावा कोई बेहतर नहीं जानता


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